Essay on Lockdown
लॉकडाउन पर निबंध-Essay on Lockdown
परिचय-Introduction
लॉकडाउन (Lockdown) सरकार द्वारा लगाया गया एक आपातकालीन प्रोटोकॉल है जो लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने और सार्वजनिक क्षेत्रों में जाने से रोकता है। वैश्विक कोरोना वायरस महामारी फैलने के मद्देनज़र, दुनिया भर में कई सरकारों ने इस बीमारी को और फैलने से रोकने के लिए अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में तालाबंदी कर दी। भारत सरकार ने भी 25 मार्च की मध्यरात्रि से देशव्यापी तालाबंदी लागू की और प्रत्येक राज्य में 4 महीने तक का पालन किया गया और आगे अलग-अलग राज्यों ने अपने राज्यों में COVID मामलों के अनुसार पालन किया।
जब नवंबर 2019 में पहली बार चीन में कोरोनावायरस बीमारी की सुचना मिली थी, तब से इसने विश्व स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित कर दिया था। यह रोग अत्यधिक संक्रामक है और अभूतपूर्व दर से फैलता है जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था।
लॉकडाउन का मकसद सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करना था, लोगों को सामाजिकता और अनावश्यक इकठ्ठा होने से रोकना था ताकि एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति में बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
प्रभाव-Effects of Lockdown
लॉकडाउन आसन नही था। दिहाड़ी मज़दूरों, छोटे व्यवसायों और हाशिए के वर्गों के लिए काफी कठोर अनुभव था। ये लोग अपनी आजीविका से वंचित थे और कम बचत के साथ लॉकडाउन को आर्थिक रूप से अपंग पाते थे। कहा गया है; जान बचाने के लिए अभी भी लॉकडाउन ज़रूरी है।
स्थायी रोजगार वाले लोगों के पास आमतौर पर घर से काम करने का अवसर होता है और वे लॉकडाउन से सबसे कम प्रभावित होते थे। इस समय के दौरान आम जनता के लिए परिवहन के सभी साधनों को अचानक बंद कर देने से बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ा था। प्रवासी मज़दूरों का बुरा हाल था, अपने घरों को पैदल जाने के लिए मज़बूर थे।
इस के दौरान हजारों की संख्या में घर जाते समय मजदूरों की मौत हो गयी। उनके मौत के जिम्मेदार उस दौर की हुकूमतें थीं। शासन और प्रशासन दोनों उन मज़दूरों की मदद करने में असफल हो गयीं थीं।
लोगों को आवश्यक किरणे का सामान खरीदने और अन्य काम करने देने के लिए स्थानीय प्रशासन ने हर दिन कुछ घंटों के लिए लॉकडाउन में ढील देती थी। छूट के बावजूद लोगों को बड़ी संख्या में इकट्ठा होने, अनावश्यक रूप से घूमने की अनुमति नहीं थी। आवश्यक सरकारी कार्यालयों अरु नगर पालिकाओं, अस्पतालों, पुलिस आदि जैसी आपातकालीन सेवाओं ने हमेशा की तरह काम किया था।
एकजुटता-Solidarity in Lockdown
लॉकडाउन लागू होते ही विभिन्न क्षेत्रों के लोग और कई संगठन मदद के लिए आगे आये। कई प्रमुख फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और व्यापारिक घरानों ने प्रधानमंत्री राहत कोष में दान के रूप में हजारों करोड़ रुपये का भुगतान किया। इस पैसे का इस्तेमाल लॉकडाउन के दौरान भोजन पर खर्च करने और गरीबों को आर्थिक मदद देने में किया जाता था।
सरकारी अधिकारीयों ने खाद्य पैकेज वितरित किये थे, यह सुनिश्चित करते हुए कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी ब्यक्ति बिना बिना खाने के न रहे। भारत के लोगों ने भी अपने घरों के परिसर में ताली बजाकर और जश्न मनाकर अपने आपातकालीन सेवा कर्मियों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए बहुत सम्मान प्रदर्शित किया था।
इस लॉकडाउन के अलावा आज भारत दुनिया के सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में दूसरे नंबर पर था। लॉकडाउन ने हमें दुनियां में फैले कम्युनिटीस्प्रेड से बचाया था। वैक्सीन विकसित करने और बाजार तक लाने में लगभग एक साल लग गया। इसके बाद वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू हुई, पूरी दुनिया में लोगों ने अब तक दो से तीन डोज वैक्सीन की ले चुके हैं। वैक्सीनेशन के प्रक्रिया अभी भी जारी है।
निष्कर्ष-Conclusion
कोरोना वायरस बिमारी के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन आवश्यक था। यह जरुरी है कि हम अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करें। सुरक्षित रहने के लिए सहयोग करें और दूसरों को भी इस महामारी में सुरक्षित रखें।