Essay on Tiger | बाघ पर निबंध
बाघ पर निबन्ध-Essay on Tiger
प्रस्तावना
Essay on Tiger – बाघ एक जंगली और बहुत ही हिंसक जानवर है। यह भारत सरकार के द्वारा राष्ट्रीय पशु के रूप में घोषित किया गया है। यह इस पृथ्वी पर सबसे अधिक ताक़तवर, शक्तिशाली और आकर्षक पशु माना जाता है। यह घने जंगलों में रहते हैं। कभी कभी वनों की कटाई के कारण भोजन की तलाश में गावों और अन्य आवासीय स्थानों में भी घुस आता है। साइबेरियन बाघ आमतौर पर ठंडे स्थानों पर रहते हैं। रॉयल बंगाल टाइगर (बाघ) जंगलों में नदी के किनारे रहते हैं। यही कारण हैं कि वे अच्छी तरह से तैरना भी जानते हैं।
कुछ दशक पहले, बाघों का लोगों दवार अपने विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति की लिए बड़े स्तर पर शिकार किया जाता था। इसमें गैर क़ानूनी कार्य भी शामिल हैं; जैसे- शरीर के अंगों, खाल (त्वचा), हड्डीयों, दांतों, नाखूनों आदि की तस्करी के लिए। इसके परिणाम स्वरुप पुरे भारत में बाघों की संख्या में बहुत अधिक कमी आई।बाघ अन्य देशों में भी पाए जाते हैं; जैसे- बांग्लादेश, कम्बोडिया, थाईलैंड, लॉस, चीन, इंडोनेशिया, म्यामांर, नेपाल, मलेशिया, रूस, वियतनाम,भूटान आदि।
बाघ के भौतिक लक्षण-Essay on tiger
बाघ एक मांसाहारी जानवर है, जो रात को शिकार करता है और दिन में सोता है। बाघ बहुत ही मजबूत और ताक़तवर शरीर रखता है, जिसकी सहायता से ये बहुत ऊंचाई तक (लगभग 7 फिट तक) छलांग सकता है। और बहुत अधिक दूरी तक (लगभग 85 किलो/घंटा की रफ़्तार से) दौड़ सकता है। इसके नील, सफेद और नारंगी शरीर पर कलि धारियाँ इसे वास्तव में आकर्षक और सुन्दर बनाती है।
इसे बहुत दूरी से अपने शिकार को पकड़ने के लिए प्राकृतिक रूप से मजबूत जबड़े, दांत और तेज़ पंजे प्राप्त हैं। यह माना जाता है कि इसकी लम्बी पूंछ, शिकार के पीछे भागते हुए इसका नियंत्रण बनाए रखती है। एक बाघ लगभग 13 फिट लम्बा और 150 किलो वजन का होता है। एक बाघ को उसके शरीर पर अद्वितीय धारियों से पहचाना जा सकता है। शरीर पर बनी धारियाँ प्रत्येक बाघ के लिए विशिष्ट होती है जो उनकी पहचान में मदद करती है।
एक राष्ट्रीय पशु के रूप में टाइगर (बाघ)
बाघ को इसी शक्ति, ताक़त और चपलता के कारण भारत का राषट्रीय पशु चुना गया है। यह अपने जंगल का राजा और रायल बंगाल टाइगर के जैसे नामों के कारण भी राष्ट्रीय पशु चुना गया है।
मांसाहारी पशु: बाघ-Carnivorous Animal, Tiger:
यह एक मांसाहारी पशु है, खून और गोश्त/मासं का बहुत ही शौकीन होता है। यह कभी-कभी जंगल से किसी पशु यहाँ तक कि मनुष्य को भी भोजन के रूप में खाने के लिए गाँवों की ओर जाते हैं। यह पाने शिकार (जैसे- हिरन, जेब्रा और अन्य जानवरों) पर अपनी बहुत मजबूत पकड रखता है और उन पर मजबूत जबड़ों और तेज पंजो के माध्यम से अचानक आक्रमण करता है।
आमतौर पर यह दिन के दौरान सोता है और रात के समय शिकार करता है। जंगली जानवरों को भोजन की आवश्यता और जरुरत के बिना मारना इसकी प्रकृति और शौक है, जो इसकी अन्य जानवरों के सामने ताक़त और शक्ति प्रदर्शित करती है। यही कारण है कि यह बहुत ही क्रूर और निर्दयी पशु के रूप में माना जाता है।
जीवन चक्र-Life Cycle:
नर बाघ जन्म के 4-5 साल बाद परिपक्व होते है, जबकि मादा 3-4 साल की आयु में परिपक्व हो जाती हैं। सम्भोग के लिए कोई निश्चित मौसम नहीं होता है। गर्भावस्था की अवधि 95112 दिन की होती है और एक बार में 1-5 बच्चों को जन्म दे सकते हैं। युवा पुरुष अपनी माँ के क्षेत्र को छोड़ देता हैं जबकि महिला बाघ उसके करीब क्षेत्र में ही रहती हैं।
भारतीय संस्कृति में बाघ हमेशा प्रमुख स्थान पर रहा है। राष्ट्रीय पशु के रूप में एक उचित महत्व प्रदान करने के लिए रॉयल बंगाल बाघ को भारतीय मुद्रा नोटों के साथ-साथ डाक टिकटों में भी चित्रित किया गया है।
निष्कर्ष-Conlusion
बाघों की लगभग आठ प्रजातियाँ हैं और भारतीय प्रजाति को रॉयल बंगाल टाइगर कहा जाता है। बाघ (उत्तरी-पश्चिमी भाग को छोड़कर) लगभग पुरे देश में पाए जाते हैं। प्रोजेक्ट टाइगर अभियान को शुरू करने के कुछ वर्ष बाद ही, भारत में बाघों की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। 1993 की बाघों की जनगणना के अनुसार, देश में बाघों की कुल संख्या लगभग 3,750 थी। प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत लगभग पुरे देश में 23 संरक्षण केन्द्रों (33,406 वर्ग किलो.मी. के क्षेत्र में) की स्थापना की गई थी।
आख़िरी शब्द (Last word)
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